Last modified on 16 सितम्बर 2009, at 15:46

रोज़ बदलता मौसम / इला प्रसाद

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:46, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इला प्रसाद }} <poem> यहां मौसम हर रोज़ बदलता है और लो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


यहां मौसम हर रोज़ बदलता है
और लोगों के मिज़ाज भी ।
एक मौसम इस घर का है
एक मौसम शहर का।

एक मौसम मेरे मन का है
वीतराग ...

सोंचती हूँ
कहीं जो बिठा पाती संगति
इन सबके बीच
तो मेरे मन का मौसम
क्या होता?

वहाँ हरदम शायद
वसंत होता!