कवि: अशोक वाजपेयी
~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~
उसनें कहा
उसके पास एक छोटा सा ह्रदय है
जैसे धूप कहे
उसके पास थोड़ी सी रौशनी है
आग कहे
उसके पास थोड़ी सी गरमाहट---
धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है
आग नहीं कहती उसके पास लपटें
वह नहीं कहती उसके पास देह ।