प्रशस्ति गीत / स्नेहलता स्नेह
जय जवान मुक्तिगान मातृभूमि के विहान
जय जवान
तुम जगे जगा जहान
जाग उठा आसमान
तुम बढ़े उड़ा निशान
गूँज चले मुक्ति गान।।
नव सृजन सजे वितान
मातृभूमि के विहान
जय जवान।।
तुम चले गगन चले
साथ हर सपन चले
देश में अमन पले
गोद में सुमन खिले
मुस्करा उठे जहान
मातृ भूमि के विहान
जय जवान।।
तुम घिरो तो घन घिरे
तुम घिरो तो मन फिरे
तुम तपो तपे धरा
हो विजय स्वयंवरा।।
तुम अजर अमर निशान
मातृभूमि के विहान
जय जवान।।
तुम प्रबल प्रबुद्ध हो
समर सिंह क्रुद्ध हो।
प्रलयंकर रुद्र हो
ज्ञान धीर शुद्ध हो
देश धर्म आन बान
मातृ भूमि के विहान
जय जवान।।
गूँज रही भारती
माँ उतारे आरती।
तन मन धन वारती
माँ विकल पुकारती
गीता के आत्मज्ञान
मातृभूमि के विहान।।
जय जवान।।