भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यदि सेब... / अब्दुल्ला पेसिऊ
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अब्दुल्ला पेसिऊ |संग्रह= }} Category:अरबी भाषा <Poem> ...)
|
यदि मेरे सामने गिर जाए कोई सेब
तो मैं उसे बीच से दो हिस्सों में काट दूंगा
एक अपने लिए
दूसरा तुम्हारे लिए
यदि मुझे कोई बड़ा इनाम मिल जाए
और उसमें मिले मुस्कुराहट
तो इसे भी मैं
बाँट दूंगा दो बराबर के हिस्सों में
एक अपने लिए
दूसरा तुम्हारे लिए
यदि मुझसे आ टकराए दु:ख और विपदा
तो उसे मैं समा लूंगा अपने अंदर
आखिरी साँस तक।