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ललक / अब्दुल्ला पेसिऊ

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मैं इस वक़्त
हड़बड़ी में हूँ

जल्द से जल्द इकट्ठा कर लूँ
पेड़ों से कुछ पत्तियाँ
चुन लूँ कुछ हरी दूब
और सहेज लूँ कुछ जंगली फूल
इस मिट्टी से -

डर यह नहीं
कि विस्मृत हो जाएंगे उनके नाम

बल्कि यह है कि
कहीं धुल न जाए
स्मृति से उनकी सुगन्ध।