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जीवन शाप या वरदान / हरिवंशराय बच्चन

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जीवन शाप या वरदान?


सुप्‍त को तुमने जगाया,

मौन को मुखरित बनाया,

करुन क्रंदन को बताया क्‍यों मगर मधुर गान?

जीवन शाप या वरदान?


सजग फिर से सुप्‍त होगा,

गीत फिर से गुप्‍त होगा,

मध्‍य में अवसाद का ही क्‍यों किया सम्‍मान?

जीवन शाप या वरदान?


पूर्ण भी जीवन करोगे,

हर्ष से क्षण क्षण भरोगे,

तो न कर देंगे उसे सब एक दिन बलिदान?

जीवन शाप या वरदान?