भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:57, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई गाता, मैं सो जाता!

संसृति के विस्‍तृत सागर पर

सपनों की नौका के अंदर

सुख-दुख की लहरों पर उठ-गिर बहता जाता मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!


आँखों में भरकर प्‍यार अमर,

आशीष हथेली में भरकर

कोई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!


मेरे जीवन का खारा जल,

मेरे जीवन का हालाहल

कोई अपने स्‍वर में मधुमय कर बरसाता, मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!