Last modified on 27 सितम्बर 2009, at 01:17

जा रही है यह लहर भी / हरिवंशराय बच्चन

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:17, 27 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जा रही है यह लहर भी!

चार दिन उर से लगाया,
साथ में रोई, रुलाया,
पर बदलती जा रही है आज तो इसकी नजर भी!
जा रही है यह लहर भी!

हाय! वह लहरी न आती,
जो सुधा का घूँट लाती,
जो न आकर लौटती फिर, कर मुझे देती अमर भी!
जा रही है यह लहर भी!

वो गई तृष्णा जगाकर,
वह गई पागल बनाकर,
आँसुओं से यह भिगाकर,
क्यों लहर आती नहीं है जो पिला जाती जहर भी!
जा रही है यह लहर भी!