भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नभ में वेदना की लहर / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 29 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नभ में वेदना की लहर!

मर भले जाएँ दुखी जन,
अमर उनका आर्त क्रंदन;
क्यों गगन विक्षुब्ध, विह्वल, विकल आठों पहर?
नभ में वेदना की लहर!

वेदना से ज्वलित उड़गण,
गीतमय, गतिमय समीरण,
उठ, बरस, मिटते सजल घन;
वेदना होती न तो यह सॄष्टि जाती ठहर।
नभ में वेदना की लहर!

बन गिरेगा शीत जलकण,
कर उठेगा मधुर गुंजन,
ज्योतिमय होगा किरण बन,
कभी कवि-उर का कुपित, कटु और काला जहर?
नभ में वेदना की लहर!