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उनके प्रति मेरा धन्यवाद / हरिवंशराय बच्चन

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उनके प्रति मेरा, धन्यवाद,

कहते थे मेरी नादानी
जो मेरे रोने-धोने को,
कहते थे मेरी नासमझी
जो मेरे धीरज खोने को,
मेरा अपने दुख के ऊपर उठने का व्रत उनका प्रसाद
उनके प्रति मेरा धन्यवाद।

जो क्षमा नहीं कर सकते थे
मेरी कुछ दुर्बलताओं को,
जो सदा देखते रहते थे
उनमें अपने ही दावों को,
मेरा दुर्बलता के ऊपर उठने का व्रत उनका प्रसाद;
उनके प्रति मेरा धन्यवाद।

कादरपन देखा करते थे
जो मेरी करुण कहानी में,
बंध्यापन देखा करते थे
जो मेरी विह्वल वाणी में,
मेरा नूतन स्वर में उठकर गाने का व्रत उनका प्रसाद;
उनके प्रति मेरा धन्यवाद।