भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विश्व को उपहार मेरा / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:51, 4 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=निशा निमन्त्रण / हरिवं...)
विश्व को उपहार मेरा!
पा जिन्हें धनपति, अकिंचन,
खो जिन्हें सम्राट निर्धन,
भावनाओं से भरा है आज भी भंडार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!
थकित, आजा! व्यथित, आजा!
दलित, आजा! पतित, आजा!
स्थान किसको दे न सकता स्वप्न का संसार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!
ले तृषित जग होंठ तेरे
लोचनों का नीर मेरे!
मिल न पाया प्यार जिनको आज उनका प्यार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!