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देवता उसने कहा था / हरिवंशराय बच्चन

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देवता उसने कहा था!

रख दिए थे पुष्प लाकर
नत नयन मेरे चरण पर!
देर तक अचरज भरा मैं देखता खुद को रहा था!
देवता उसने कहा था!

गोद मंदिर बन गई थी,
दे नए सपने गई थी,
किंतु जब आँखें खुलीं तब कुछ न था, मंदिर जहाँ था!
देवता उसने कहा था!

प्यार पूजा थी उसीकी,
है उपेक्षा भी उसी की,
क्या कठिन सहना घृणा का भार पूजा का सहा था!
देवता उसने कहा था!