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खंडहर में लौटी एक चिड़िया / शिवप्रसाद जोशी

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खंडहर में लौटी एक चिड़िया
और उसने कहा ये मेरा घर है
किताबें खेत और बर्तन
पानी में लौट गए
वहीं डूबी याद

किसी को लौटना पड़ा
कि जाना ही है देर सबेर
अचानक लौट आई हवा
कि बाहर तूफ़ान है
इच्छा ने कहा
भूल गई लौटना है
बताओ कहां जाऊँ मैं
वो दूर कोने में कौन खड़ा है
और उसका बदन भीगा हुआ है
प्रेम
अब लौटो तुम भी जहाँ से आए हो
रुको तोलिये से बाल और शरीर पोंछ लो

मैं भी लौटूंगा
अपनी उदासी में।