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वारिद वंदना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

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(गीत)
मेरे जीवन में हँस दीं हर
वारिद-झर!

ऐ आकुल-नयने!
सुरभि, मुकुल-शयने!
जागीं चल-श्यामल पल्लव पर
छवि विश्व की सुघर!

पावन-परस सिहरीं,
मुक्त-गन्ध विहरीं,
लहरीं उर से उर दे सुन्दर
तनु आलिंगन कर!

अपनापन भूला,
प्राण-शयन झूला,
बैठीं तुम, चितवन से संचर
छाये घन अम्बर!