Last modified on 13 अक्टूबर 2009, at 13:06

सागर की लहर लहर में / सुमित्रानंदन पंत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 13 अक्टूबर 2009 का अवतरण

सागर की लहर लहर में
है हास स्वर्ण किरणों का,
सागर के अंतस्तन में
अवसाद अवाक् कणों का !
            
यह जीवन का है सागर,
जग-जीवन का है सागर,
प्रिय-प्रिय विषाद रे इसका
प्रिय प्रि’ आह्लाद रे इसका !

जग जीवन में हैं सुख-दुख,
सुख-दुख में है जग जीवन;
हैं बँधे बिछोह-मिलन दो
देकर चिर स्नेहालिंगन !
    
जीवन की लहर-लहर से
हँस खेल-खेल रे नाविक !
जीवन के अंतस्तल में
नित बूड़-बूड़ रे भाविक !

(फरवरी,1932)