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प्रथम बन्दूँ पद विनिर्मल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

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प्रथम बन्दूँ पद विनिर्मल
परा-पथ पाथेय पुष्कल।

गणित अगणित नूपुरों के,
ध्वनित सुन्दर स्वर सुरों के,
सुरंजन गुंजन पुरों के,
कला निस्तल की समुच्छल।