Last modified on 19 अक्टूबर 2009, at 07:37

पूरन प्रेम को मंत्र / घनानंद

Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:37, 19 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }}<poem>पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोध…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोधि सुधारि है लेख्यौ।
ताही के चारू चरित्र बिचित्रनि यौं पचि कै राचि राखि बिसेख्यौं
ऎसो हियो-हित-पत्र पवित्र जु आन कथा न कहूँ अवरेख्यौ।
सो घनआनँद जान, अजान लौं टूक कियो पर बाँचि न देख्यौ॥