भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज तुम से बिछड़ रहा हूँ / सुदर्शन फ़ाकिर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:39, 26 नवम्बर 2006 का अवतरण
रचनाकार: सुदर्शन फ़ाकिर
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
आज तुम से बिछड़ रहा हूँ
आज कहता हूँ फिर मिलूँगा तुम से
तुम मेरा इंतज़ार करती रहो
आज का ऐतबार करती रहो
लोग कहते हैं वक़्त चलता है
और इंसान भी बदलता है
काश रुक जाये वक़्त आज की रात
और बदले न कोई आज के बाद
वक़्त बदले ये दिल न बदलेगा
तुम से रिश्ता कभी न टूटेगा
तुम ही ख़ुश्बू हो मेरी साँसों की
तुम ही मंज़िल हो मेरे सपनों की
लोग बोते हैं प्यार के सपने
और सपने बिखर भी जाते हैं
एक एहसास ही तो है ये वफ़ा
और एहसास मर भी जाते हैं