भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेतन जड़ / अशोक चक्रधर

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:47, 28 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यास कुछ और बढ़ी
और बढ़ी ।

बेल कुछ और चढ़ी
और चढ़ी ।

प्यास बढ़ती ही गई,
बेल चढ़ती ही गई ।

कहाँ तक जाओगी बेलरानी
पानी ऊपर कहाँ है ?

जड़ से आवाज़ आई--
यहाँ है, यहाँ है ।