Last modified on 29 अक्टूबर 2009, at 09:40

डर था उसका / डा.अजय चौधरी

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:40, 29 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लुट जाने का डर था उसका
आबादी में घर था उसका
उस बस्ती में जीना कैसा
मरना भी दूभर था उसका
दिल की बातें खाक समझता
दिल भी तो पत्थर था उसका
उड़ने में ही था जो बाधक
अपना घायल पर था उसका
रहता था वो डरा-डरा सा
कहने को तो घर था उसका