भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गणतन्त्र पताका / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:37, 30 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=धार के इधर उधर / हरिवंशर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उगते सूरज और चांद में जब तक है अरुणाई,
हिन्द महासागर की लहरों में जबतक तरुणाई,
वृद्ध हिमालय जब तक सर पर श्वेत जटाएँ बाँधे,
भारत की गणतंत्र पताका रहे गगन पर छाई।