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गुज़री पीढ़ी / अजित कुमार
Kavita Kosh से
दूकान बढाने के लिए मजबूर एक मालिक
शासन को, नियम को,
उनके रक्षकों
और
अपने मातहतों को
भरपूर गालियाँ दे चुकने के बाद
अब
रोशनियाँ बुझाते
और
ताले बंद करते हुए
देखो । देखो ।
कैसे कोस रहा है उसी दूकान को ।