भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फ़र्क़ और फ़र्क़ / श्रीकान्त जोशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:26, 2 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकान्त जोशी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क्या फ़र्क़ …)
क्या फ़र्क़ है
बूढ़े और बालक में?
ख़ास नहीं,
दोनों को नैपकिन की ज़रूरत है।
क्या फ़र्क़ है
बूढ़े और बालक में?
फ़र्क़ ही फ़र्क़ है,
यह भी कोई प्रश्न है!
बूढ़ा उठता भी है तो गिरते-गिरते
बालक गिरता भी है तो उठते-उठते
एक में जिस जगह भविष्य का समापन है
दूसरे में उसी जगह शुभागमन।