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Butterfly-orange-48x48.png  एक काव्य मोती

प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो ।

समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥

एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।

अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥
कविता कोश में सूरदास