Last modified on 4 नवम्बर 2009, at 22:16

नए फैशन के मकान / अनूप सेठी

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:16, 4 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब बन गया नए फैशन का मकान
पुराने घर को छोड़कर आ गए रहने लोग

पक्की गली बाजार तक जाती है
पिछवाड़े वही है पुराना मुहल्ला

सहमे हुए रहते हैं बच्चे
उड़धम मचाते हैं जब हों अकेले

बड़े लोगों ने सीख लिया
ओंठ सिल के व्यस्त बने रहना
अखबार खरीदना
टीवी देखना
कभी कभी आपस में
पँखे से सुर मिला कर
घुर-घुर बातें करना

रात को जब बिस्तर पर पड़ते हैं
नए फैशन के मकान में
पुराने शहर को छोड़ कर आए हुए लोग
कोलाहल उनके फेफड़ों से बाहर निकलता है

थोड़ा घर की दीवारों को खुरचता है
थोड़ा बाजार गली में टहलने निकल जाता है
थोड़ा पड़ोस में कानाफूसी करता है
थोड़ा खिड़की से हवा हो जाता है ।
                       (1989)