Last modified on 5 नवम्बर 2009, at 00:11

दो सिरे / अमिता प्रजापति

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:11, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ज़िन्दगी की कमीज़ के
दोनों सिरों पर लगे

काज और बटन की तरह हैं हम

वक़्त को
जब झुरझुरी आती है
इस कमीज़ को ढूंढ़ कर
पहन लेता है