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जागरण / अरुण कमल

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विडियो चला है रात भर
लगता है इसीलिए सोई है अब तक
इस्पात नगर की लेबर कोलनी
बल्ब जल रहा अब तक बाहर

एक गृहिणि बुहारती है वेग से
द्वार पर ज्गरे फूल हरसिंगार के
झटके से फेंकती है विथि पर
ठीक मेरे आगे फूलों का कूड़ा

समाप्तप्राय है मेरा प्रात: भ्रमण

बच्चों ने भीतर ताली बजाई
फिर कोई कैसेट लगा सुबह सुबह ।