भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्त / नरेन्द्र मोहन

Kavita Kosh से
त्रिपुरारि कुमार शर्मा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:39, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''रचनाकार : नरेन्द्र मोहन''' == शीर्षक == मैं मौन का दरवाज़ा लांघता हू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार : नरेन्द्र मोहन

शीर्षक

मैं मौन का दरवाज़ा लांघता हूँ बिना शब्द किये अन्त की ओर

यहाँ न रंग दिखते हैं न रेखाएँ न रूप न अरूप दिखती है एक चमकीली मछली जूझती हाँफती तेज़ लहरों के खिलाफ

अन्त की शुरूआत ऐसे ही होती है क्या ?