भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टुकड़ों में बँटा घर-एक / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:20, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घंटी बजते ही
उस औरत को याद आया
कब से बैठी थी
अंधरे में...

बत्ती जलाते हुए
भागकर अलगनी से दुपट्टा खींचा
और
पलक झपकते
उसमें सिमट गई

खोला द्वार
डाकिये ने
दिया तार
मुल्क के लिए
बहादुरी से लड़ते
हुए
हुआ शहीद आपका बेटा
अब्दुल
हमीद