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तुमसे मिलके / अश्वघोष
Kavita Kosh से
तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके
उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके
जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके
अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके
वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके