भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
द्वंद्व / त्रिलोचन
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:17, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }}<poem>उठी हुई उँगली की ओर मैंने देखा साँप…)
उठी हुई उँगली की ओर मैंने देखा
साँप और नेवला-दोनों गुत्थमगुत्था,
दोनों एक दूसरे का अंत कर देने पर
लगे हुए। नेवले को देखा, बिजली की गति,
साँप क्रोध में फुंकार करता, फन पीटता,
अंतत: साँप शांत।
नेवला भी घायल था, किसी ओर
चला गया।
मुझे नकुलसर्पयो: प्रत्यक्ष दिखा
द्वन्द्व कहाँ नहीं है।
12.10.2009