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प्रस्थान / आग्नेय
Kavita Kosh से
तुम्हें आख़िरकार
देख रहा हूँ
तुम्हारी आँखों में
गुज़रे वक़्त के आँसू हैं
मैं तुम्हें हमेशा के लिए
छोड़कर जाने वाला हूँ
यकायक देखता हूँ
तुम्हारे पीछे खड़ी
एक दूसरी स्त्री को
जो लगभग तुम्हारी जैसी है
मुझ से कह रही है
किसी को छोड़कर तुम
कैसे पा सकोगे मुझे?