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नई सुबह / इला कुमार
Kavita Kosh से
वृक्षों की नर्म पत्तियों के किनारे से
शरमा कर मुस्कराकर झांकती है एक किरण
नए सूरज की चमकीली लहर
निराशा के क्षणों को धीमें से पोंछकर
मिटा देती है
नए विश्वास से भरे सूरज
आओ
मेरी पलकों पर चमकती बूंदों को समेट
मुझे सपनीली किरणों से भर दो