Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 20:05

प्यार की नदी / इसाक अश्क

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:05, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सूखी
गुलदस्ते सी
प्यार की नदी

व्यक्ति
संवेग सब
मशीन हो गए
जीवन के
सूत्र
सरेआम खो गए
और कुछ न कर पाई
यह नई सदी

वर्तमान ने
बदले
ऐसे कुछ पैंतरे
आशा
विश्वास
सभी पात सो झरे
सपनों की
सर्द लाश
पीठ पर लदी।