Last modified on 11 नवम्बर 2009, at 00:38

दुर्दिनों में कविता-3 / उदय प्रकाश

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:38, 11 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हाथ जोड़े हुए दूर से मुस्कराते हैं आप
हृदय में उठती है आंधी कहने के लिए
नमस्कार... नमस्कार...

किसी अदृश्य की तरह देखते हुए आपको
आपके बग़ल से गुज़र जाता है
राजधानियों के संवेदनशील कवियों का गिरोह
किसी कविता की कतिपय करुण पंक्ति पर
मगन मन मूंड हिलाता