भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तिनसुकिया / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
अपन तिनसुकिया में बैठकर
चले जाएंगे...
यहाँ तो क्या रहना
बहुत दूर जाती है तिनसुकिया
तिनसुकिया हारे हुए मुसाफ़िरों के उम्मीद में डूबे
दिलों की तरह धड़कती है...
चलो, तिनसुकिया में चलो...
लाईन हरी है
तिनसुकिया अब छूटने वाली है ।