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सखी री कछु तो तपन जुड़ानी / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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सखी री कछु तो तपन जुड़ानी।
जब सों सीरी पवन चली है तब सों कछु मन मानी।
कछु रितु बदल गई आली री मनु बरसैगो पानी।
’हरीचंद’ नभ दौरन लागे बरसा कै अगवानी॥