Last modified on 12 नवम्बर 2009, at 21:40

पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं / भजन

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:40, 12 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKBhajan |रचनाकार= }} <poem>पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं । देइ असीस सिखा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं ।
देइ असीस सिखावनु देहीं ॥

होएहु संतत पियहि पिआरी ।
चिरु अहिबात असीस हमारी ॥

सासु ससुर गुर सेवा करेहू ।
पति रुख लखि आयसु अनुसरेहू ॥

बहुरि बहुरि भेटहिं महतारीं ।
कहहिं बिरंचि रचीं कत नारीं ॥