भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिकनिक / परवीन शाकिर

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 14 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सखियाँ मेरी
खुले समन्दर बीच खड़ी हैं
और मैं सबसे दूर अलग साहिल पर बैठी
आती-जाती लहरों को गिनती हूँ
या फिर
गीली रेत पे तेरा नाम लिखे जाती हूँ