Last modified on 14 नवम्बर 2009, at 21:53

अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र

अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 14 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} <poem> अहो प्रभु अपनी ओर निहा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ।
करिकै सुरति अजामिल गज की, हमरे करम बिसारौ।
’हरीचंद’ डूबत भव-सागर, गहि कर धाइ उबारौ॥