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अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे / रहीम
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अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे,
महा विष के विषारे ये करत पर-घात हैं।
ऐसे अपराधी देख अगम अगाधी यहै,
साधना जो साधी हरि हिय में अन्हात हैं॥
बार बार बोरे याते लाल लाल डोरे भये,
तौहू तो ’रहीम’ थोरे बिधि न सकात हैं।
घाइक घनेरे दुखदाइक हैं मेरे नित,
नैन बान तेरे उर बेधि बेधि जात हैं॥