Last modified on 15 नवम्बर 2009, at 10:52

जिहि कारन बार न लाये कछू / रहीम

अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 15 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रहीम }} <poem> जिहि कारन बार न लाये कछू, गहि संभु-सरास…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिहि कारन बार न लाये कछू, गहि संभु-सरासन दोय किया।
गये गेहहिं त्यागि कै ताही समै सु निकारि पिता बनवास दिया॥
कहे बीच ’रहीम’ रर्यौ न कछू, जिन कीनो हुतो बिनुहार किया।
बिधि यों न सिया रसबार सिया करबार सिया पिय सार सिया॥