Last modified on 16 नवम्बर 2009, at 03:21

प्रेम-1 / दुष्यन्त

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:21, 16 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त }} {{KKCatKavita}} <poem> मैने नहीं की पूजा उस परमपित…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
मैने नहीं की पूजा
उस परमपिता की
न ही किया सुमिरन

किंतु जब तुमने
अपने भगवान से
मांग लिया मुझे

मैं आठों पहर का पुजारी हो गया।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा