भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेमपत्र-3 / मदन गोपाल लढा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 17 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढा }} {{KKCatKavita}} <poem> तुम्हारे प्रेमपत्र में…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे प्रेमपत्र में
अब तक बाकी है
तुम्हारे स्पर्श का सौरभ।

आखर की आरसी में
मैं चीन्हता हूँ
तुम्हारा चेहरा।

प्रीत का पुराना पत्र
एक इतिहास है
अपने-आप में


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा