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खिलनमर्ग / रामधारी सिंह "दिनकर"

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यह शिखर नगराज का है,
दूर है भूतल, निकट बैकुंठ है।
जोर से मत बोल, नीरवता डरेगी,
स्वर्ग की इस शान्ति में बाधा पड़ेगी।