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और शब्द भी हैं / देवेन्द्र रिणवा
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हवा, पानी, मिट्टी
आग और आकाश ही नहीं
शब्द भी है
देह की संरचना में
शब्द
हवा को गति की
पानी को शीतलता की
मिट्टी को उर्वरा की
और
आकाश को विस्तार की
गरिमा प्रदान करता है
देह से
शब्द जब अलग हो जाता है
मृत्यु हो जाती है