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मिट्टी होगा, सोना होगा / प्रदीप कान्त
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मिट्टी होगा, सोना होगा
कुछ ना कुछ तो होना होगा
नहीं उचटती नींद जहाँ पर
सपना वहीं सलोना होगा
पत्थर ना हो जाएँ पलकें
हँसी न हो तो रोना होगा
गर्द सफ़र की निकल सके भी
घर में कोई कोना होगा
बरखा के आसार नहीं है
बीज तो फिर भी बोना होगा