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औरत-6 / चंद्र रेखा ढडवाल
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औरत (छ:)
पेड़ का सच उस अमर बेल का सच नही होता जो उसके तने से लिपटकर बढ़ती है लहलहाती है उसका बढ़ना क्या लहलहाना क्या असल में उसका होना ही क्या. </poem>