Last modified on 29 नवम्बर 2009, at 22:59

औरत-7 / चंद्र रेखा ढडवाल

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:59, 29 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)



औरत (सात)

रोज़-रोज़
संगेलती है कचरा
बाहर
रोज़-रोज़
समेटती है कचरा
भीतर
एक नहीं
शत-शत कंठ विषपाई
नारी सदा-सदा से.