भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिता-4 / चंद्र रेखा ढडवाल

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:10, 30 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''पिता (चार)'' …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


'पिता (चार)

पिता मेरी विवशता देखो
मेरे अभियान के रास्तों का पता तुम हो
उन पर क़दम-क़दम बढ़ते पैरों का
हौसला तुम हो
और मेरी अभीष्ट भी
तुम ही हो.